नई दिल्ली. महिला और बाल विकास मंत्रालय (डब्ल्यूसीडी) ने शुक्रवार को कहा कि वह ग्लोबल हंगर रिपोर्ट 2021 में भारत के 101वें स्थान से नीचे आने पर “हैरान” है और “अवैज्ञानिक” के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली कार्यप्रणाली को खारिज कर दिया. मंत्रालय ने कहा कि रैंक पर पहुंचने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कार्यप्रणाली “जमीनी वास्तविकता और तथ्यों से रहित” थी. भारत 116 देशों के बीच 101वें स्थान पर था, जो पिछले साल के 94वें स्थान से खिसक कर 101वें स्थान पर था.
डब्ल्यूसीडी मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, “ग्लोबल हंगर रिपोर्ट, कंसर्न वर्ल्डवाइड और वेल्ट हंगर हिल्फ़ की प्रकाशन एजेंसियों ने रिपोर्ट जारी करने से पहले अपना उचित परिश्रम नहीं किया है.”
मंत्रालय ने कहा कि रिपोर्ट एक ‘चार प्रश्न’ जनमत सर्वेक्षण के परिणामों पर आधारित थी, जिसे गैलप द्वारा टेलीफोन पर आयोजित किया गया था. “अवधि के दौरान प्रति व्यक्ति खाद्यान्न की उपलब्धता जैसे अल्पपोषण को मापने के लिए कोई वैज्ञानिक पद्धति नहीं है. अल्पपोषण के वैज्ञानिक माप के लिए वजन और ऊंचाई की माप की आवश्यकता होगी, जबकि यहां शामिल पद्धति जनसंख्या के शुद्ध टेलीफोनिक अनुमान के आधार पर गैलप सर्वेक्षण पर आधारित है.
बयान में कहा गया है कि रिपोर्ट पूरी तरह से कोविद की अवधि के दौरान पूरी आबादी की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार के बड़े पैमाने पर प्रयास की अवहेलना करती है, जिस पर सत्यापन योग्य डेटा उपलब्ध है.
मंत्रालय ने 2020 के दौरान शुरू की गई सभी योजनाओं को भी सूचीबद्ध किया, जिसमें प्रधान मंत्री गरीब कल्याण और अन्न योजना, आत्म निर्भर भारत योजना, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत सभी लाभार्थियों को अप्रैल से नवंबर 2020 तक मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराना, मनरेगा मजदूरी में वृद्धि शामिल है और इसी तरह.
मंत्रालय ने आगे “आश्चर्य के साथ” नोट किया कि इस क्षेत्र के अन्य चार देशों – अफगानिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका को कोविद -19 महामारी से प्रभावित नौकरी / व्यवसाय की हानि और आय के स्तर में कमी से बिल्कुल भी प्रभावित नहीं पाया गया था. रिपोर्ट ‘द स्टेट ऑफ फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन इन द वर्ल्ड 2021’ रिपोर्ट के मुताबिक.