साल 2020 को यदि त्रासदी से भरा हुआ साल कहा जाए तो यह गलत नहीं होगा. 2019 से पूरी दुनिया 2020 में आ रही थी तुम शायद किसी ने सोचा भी न होगा कि साल 2020 ऐसा होने वाला है. जो-जो और जैसी-जैसी आपदाएं हम अपने बचपन से लेकर आज तक सुनते आए थे वह सारी एक-एक कर इस साल घटित हो रही हैं. यही कारण है कि कुछ लोग साल 2020 को हानिकारक एवं सबसे शापित साल मान रहे हैं. ना केवल कोरोना (Coronavirus) बल्कि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में बहुत सारी ऐसी अलग-अलग घटनाएं हुई हैं जो साबित करती हैं कि वर्ष 2020 आपदाओं का साल है. कई धर्म गुरुओं, संतो, पादरियों एवं मौलवियों का मानना है कि इस साल घटित होने वाली घटना को ऊपर वाले के द्वारा जारी की गई चेतावनी के रूप में देखा जाना चाहिए.
यानी कि ऊपरवाला में या समझाने की कोशिश कर रहा है कि यह संभलने का वक्त है और यदि अभी भी हम (इंसान) सतर्क नहीं हुए तो आगे दुनिया का विनाश तय है. पर यह कहना कि इस साल सिर्फ सिर्फ बुरी खबरें सुनने को आ रही हैं तो ऐसा कहना गलत होगा और यह कहना भी सही नहीं है कि आने वाला वर्ष इस वर्ष की तुलना में अच्छा होगा. खुद प्रधानमंत्री मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में लोगों से आग्रह किया था कि साल 2020 को शापित ना मानकर इसे आशीर्वाद माने क्योंकि आवश्यकता है कि इस साल हम परेशानियों से जूझना और जीतना सीखें और हमारी आवश्यकता है नए अविष्कारों को जन्म देती है. जब वर्ष 2020 के बात करते हैं और दुनिया भर में होने वाली घटनाओं की बात करते हैं तो भारत से अलग नहीं है. भारत में भी कई ऐसी घटनाएं घटी हैं जिसे कोई भी याद नहीं करना चाहता है.
पूरी दुनिया जानती है कि साल 2020 की शुरुआत भारत के लिए कैसी रही थी. नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) जिसे सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट भी कहा जाता है, को लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों में हिंसक झड़प देखने को मिली थी. प्रदर्शनकारी चाहते थे कि सरकार इस बिल को वापस ले परंतु सरकार ने बिल को वापस लेने से मना कर दिया था जिसके परिणामस्वरूप पूरे देश में हिंसक प्रदर्शन हुए थे खासकर की राजधानी दिल्ली में जहां विवाद बढ़ते-बढ़ते दो समुदायों के बीच का विवाद बन गया था. दरअसल केंद्र सरकार अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में रहने वाले गैर मुस्लिम समुदाय के लोगों को भारत का नागरिक बनाने हेतु इस संशोधन को लाई थी परंतु गलत भ्रांतियों के कारण एक विशेष समुदाय के लोगों ने इस बिल को उनके समुदाय के लोगों को इस देश से बाहर निकालने और उन पर अत्याचार की मंजूरी देने वाला बिल समझ लिया था. सिर्फ हिंसक प्रदर्शन ही नहीं की शांतिपूर्ण तरीके से भी दिल्ली में प्रदर्शन हुए जिसमें सबसे बड़ा नाम शाहीन बाग का है. माना कि इसमें दो राय नहीं है कि शाहीन बाग और आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों को इस प्रदर्शन से काफी परेशानियों एवं दिक्कतों का सामना करना पड़ा था.
दिल्ली के में हुए हिंसक दंगे जो कि दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले सामने आए थे और जिसने पूरे चुनाव का रुख ही बदल कर रख दिया था. इन दंगों में ना केवल आम जनता बल्कि कई पुलिसवाले भी घायल हुए थे, कई मीडियाकर्मियों को रिपोर्टिंग करते वक्त भी चोटें आई थी और और कईयों को जान माल का नुकसान भी हुआ था. इसके बाद फिर से दिल्ली में एक और विवाद, जेएनयू विवाद. इसी साल जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में छात्रों एवं जेएनयू वाइस चांसलर के बीच हॉस्टल फीस बढ़ोतरी को लेकर विवाद हुआ था. हंसने वालों ने बढ़ते जबरू रंग ले लिया था और उसी समय में यह दो राजनैतिक दलों, एबीवीपी एवं एसएफआई के बीच का विवाद बन चुका था. इतना ही नहीं इस विवाद के चलते जेएनयू के हॉस्टल में छात्रों के साथ मारपीट भी हुई और हॉस्टल के चीजों को नुकसान पहुंचा. कई छात्र छात्राओं को बुरी तरीके से मारा गया जिसमें छात्रों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंचा और उन्होंने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किये. छात्रों पर हुए हमले की जांच दिल्ली पुलिस की टीम कर रही है. इन सारे प्रकरणों के बाद जेएनयू चांसलर में फीस बढ़ोतरी के आदेश पर रोक लगा दी.
कोरोना काल
सच में यह बीमारी मनुष्यों के लिए काल बनकर आई है. इस बीमारी से न केवल भारत बल्कि विश्व के ज्यादातर देश प्रभावित हुए हैं. वायरस की शुरुआत चीन से हुई थी लेकिन वायरस इतना खतरनाक और ताकतवर था कि धीरे-धीरे करके ऐसे पूरी दुनिया के लोग प्रभावित हुए. चीन के बाद अमेरिका, इटली एवं ब्राज़ील जैसे बड़े देशों में इस वायरस का तांडव देखने को मिला और मरने वालों की संख्या लाखों में पहुंच गई. वर्तमान समय में भारत में 20 लाख से ज्यादा लोग इस वायरस से संक्रमित हैं. कोरोना केस की कुल संख्या 20,88,612 हो गई है. इनमें से 6,19,088 एक्टिव केस हैं और 14,27,006 मरीज पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं. इनमें से सबसे अधिक केस महाराष्ट्र से हैं. करने की याद ठीक होने वालों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, दुनिया भर में हर रोज नए मामले सामने आ रहे हैं. कोरोना की वैक्सीन पर भी काम जारी है और एम्स में इसके इंसानों पर परीक्षण का भी काम शुरू हो गया है खबरों की मानें तो बहुत जल्द ये वैक्सीन बाजार में आम लोगों के लिए उपलब्ध होगी.
भूकंप के झटके
एक और जहां कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन था और लोग अपने घरों पर रहने के लिए मजबूर थे तो वही प्रकृति दिल्ली और आसपास के इलाकों में बसने वाले लोगों को घर से बाहर निकलने पर मजबूर कर रही थी. लॉकडाउन के समय दिल्ली में लगातार भूकंप के झटके महसूस किए गए. लोगों ने इस बात पर सोशल मीडिया पर का काफी चुटकुले भी शेयर किए. लोगों के लिए अजीब स्थिति थीं खुराना के चलते हुए घर से बाहर निकल नहीं सकते थे और भूकंप की वजह से घर में रह नहीं सकते थे. जमीन और हवा में सिर्फ भूकंप और कोरोना ही काफी नहीं थे इसलिए पानी से तूफान के रूप में परेशानियां सामने आई. जहां एक ओर निसर्ग तूफान ने अरब सागर के करीबी इलाकों में अपना कहर बरसाया तो वहीं अंफान ने बंगाल और उड़ीसा में अपना कहर बरसाया. इन दोनों तूफानों में जान माल का बहुत नुकसान हुआ था. अंफान से करीब 3000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था.
केरल विमान हादसा
इन सबके बाद हाल ही केरल में हुआ विमान हादसा भी परेशान करता है. इस हादसे में करीब 17 लोगों ने अपनी जान गवाई। ये सभी दुबई से वन्दे मातरम के तहत अपने देश लौट रहे थे. कोरोना के चलते सरकार दुबई में फंसे इन सभी भारतीय को एयर इंडिया की फ्लाइट से देश वापस ला रही थी, लेकिन किसे पता था की यहां उनका इंतजार इतना बड़ा हादसा कर रहा है.