कोरोना वैश्विक महामारी है पूरी दुनिया को बेहद प्रभावित किया है. दुनिया के सभी देश इस महामारी से अपनी जंग लड़े रहे हैं. इस महामारी ने ना केवल सामाजिक तौर पर बल्कि आर्थिक तौर पर भी दुनिया के बड़े-बड़े देशों की नींव हिला कर रख दी है. इसके चलते कई देशों में आर्थिक गतिविधियां पूर्ण रूप से बंद है और कई जिन देशों में आर्थिक गतिविधियां चालू है वे उस प्रभाव से काम करने में सक्षम नहीं है जिस तरह कुछ महीने पहले थीं. कोरोना महामारी ने न केवल हमें स्वच्छता की अहमियत समझाई है बल्कि हमें आत्मनिर्भर होने का पाठ भी पढ़ाया है क्योंकि इस महामारी के चलते लोगों के बीच संवाद बिल्कुल बंद है दूसरे देशों से होने वाला व्यापार भी लगभग बंद है यानी कि दूसरों के सहारे अपने आप को चला पाना अब अब सही नहीं होगा और आत्मनिर्भरता ही एकमात्र विकल्प है.
भारत सरकार ने आत्मनिर्भरता के इस मंत्र को बखूबी और बहुत जल्दी समझ लिया है. न केवल भारत सरकार अपनी वर्तमान और भविष्य की गतिविधियों को आत्मनिर्भरता के मंत्र को ध्यान में रखकर आगे बढ़ रही है बल्कि लोगों का ध्यान और लोगों को भी आत्मनिर्भरता के मंत्र को अपनाने के लिए प्रेरित कर रही है.
आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar India) के सपने को साकार करने के लिए भारत सरकार ने आत्मनिर्भर भारत सप्ताह की शुरुआत की है. अपने एक आधिकारिक वक्तव्य में रक्षा मंत्री कार्यालय ने रविवार देर रात को ट्वीट कर जानकारी दी कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) सोमवार को आत्मनिर्भर भारत सप्ताह की शुरुआत की. इस कार्यक्रम का आयोजन अपराह्न साढ़े तीन बजे हुआ.

एक डिजिटल कार्यक्रम के दौरान राजनाथ सिंह ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के नेतृत्व में हम ऐसे भारत का निर्माण करेंगे जो आत्मनिर्भर हो. नया और आत्मनिर्भर भारत रोटी, कपड़ा, मकान, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में स्वावलंबी होगा.”
रक्षा मंत्री ने अभी बताया कि वर्ष 2017 में ‌गुजरात के चंपारण में प्रधानमंत्री मोदी ने गांधी बापू की 100वीं वर्षगांठ के अवसर पर नया भारत बनाने की घोषणा की थी. कोरोना महामारी के बाद नए भारत में आत्मनिर्भरता मुख्य बिंदु बन चुका है. सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री ने अभियान पूरी तरह से स्पष्ट कर दिया है कि जब हम नए भारत की नींव रखेंगे तो नया भारत आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता से परिपूर्ण होगा.

उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, “प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी इस देश के ऐसे नेता है जिन्होंने देश और समाज हित से जुड़े मुद्दों को जनान्दोलन का रूप दिया है. आज देश में ‘स्वच्छ भारत अभियान’ एक जनान्दोलन के रूप में परिवर्तित हो चुका है. ‘गंदगी भारत छोड़ो’ का आवाह्न स्वच्छ भारत अभियान को नई दिशा और गति देगा.”
धन्ना सिंह ने अपने ट्वीट में आगे लिखा, “कोरोना जैसी वैश्विक महामारी ने पूरी दुनिया को यह बता दिया है कि जो देश आत्मनिर्भर नहीं होंगे वे अपनी संप्रभुता की भी सही मायनों में रक्षा नही कर सकेंगे. भारत के सम्मान और संप्रभुता में हमारी सरकार किसी भी तरह की आंच नहीं आने देगी.”
सिंह ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत कैसा होना चाहिए उसको लेकर हमारे मन में कोई आशंका नहीं होनी चाहिए. “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ऐसे आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करेंगे जो कि पूर्णता आत्मनिर्भर हो यानी कि कपड़ा, मकान, शिक्षा और स्वास्थ्य आदि सभी मामलों में हमारा देश आत्मनिर्भर हो.”, राजनाथ सिंह ने लिखा.

गौरतलब है कि रविवार को एक बड़े ऐलान के अंतर्गत रक्षा मंत्रालय ने आत्मनिर्भर भारत की पहल से जोड़ते हुए 101 रक्षा उपकरणों के आयात पर रोक लगा दी थी और यह भी प्रण लिया था कि 6 से 7 वर्षों में भारतीय कंपनियों को मिलने वाले रक्षा उपकरणों के ठेके को 4लाख करोड़ तक बढ़ाया जाएगा. 101 रक्षा वस्तुओं के आयात पर रोक लगाने की यह योजना वर्ष 2020 से 2024 के बीच चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वित होगी. इसके साथ ही जिन रक्षा वस्तुओं के आयात पर रोक लगाने के लिए चयनित किया गया है ऐसी सैन्य वस्तुओं के घरेलू स्तर पर उत्पादन की समयसीमा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जाएंगे. 101 चिन्हित सैन्य उपकरणों के अलावा कुछ और उपकरणों के आयात पर भी प्रतिबंध लगेगा जिसके लिए ऐसे उपकरणों को चरणबद्ध तरीके से चिन्हित किया जाएगा. केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने यह भी साफ किया कि भारत सरकार ने 2020-21 के लिए पूंजीगत खरीद बजट को घरेलू और विदेशी खरीद के बीच दो भागों में आवंटित किया है जिसमें घरेलू पूंजीगत खरीद हेतु करीब 52,000 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं. 


ऐसा माना जा रहा है कि भारत सरकार के इस फैसले के बाद भारतीय उद्योगों को बड़े अवसर प्राप्त होंगे जिससे ना केवल भारतीय कंपनियों को लाभ होगा बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में भी मदद मिलेगी. जब भारतीय कंपनियों को मिलने वाले ठेकों में बढ़ोतरी होगी तो भारत के युवाओं को रोजगार के नए और बड़े अवसर प्राप्त होंगे. इसके लिए जरूरत है कि भारतीय युवाओं को सैन्य उपकरणों के बारे में पढ़ाया एवं बताया जाए और और इनको रक्षा क्षेत्र में नए अविष्कार करने के लिए जरूरी ट्रेनिंग मिले. भारत अगर बड़ी मात्रा में सैन्य उपकरणों को बनाता है तो हम उसे अन्य देशों को भी देख सकते हैं लेकिन इसके लिए महत्वपूर्ण है कि भारतीय उपकरणों का मूल्य अन्य विदेशी उपकरणों की तुलना में कम हो तथा भारतीय उपकरणों की गुणवत्ता विदेशी उपकरणों से अधिक हो. इसके साथ ही भारत को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि हमारे उपकरण अमेरिकी रूस और अन्य शक्तिशाली देशों के  उपकरणों को टक्कर दे सकें.

इस कदम से सरकार को भी बहुत लाभ होगा है कि हर वर्ष भारत सरकार अपने बजट का एक तिहाई हिस्सा विदेशी रक्षा उपकरणों की खरीद में खर्च करती आ रही है जिससे भारत बजट का अच्छा खासा ऐसा विदेशों में चला जाता है. हालांकि इसमें कोई दो राय नहीं है कि इन कारणों से भारतीय सेना और अधिक बलशाली होती है परंतु होगा ऐसे उपकरणों को हम घर में बना कर ही भारतीय सेना के इस्तेमाल मेला सके तो इससे ना केवल भारतीय सेना का फायदा होगा बल्कि भारतीय उन भारतीय कंपनियों को भी जो कम खर्चे में भी अच्छे उपकरणों को बना सकती हैं.
भारत सरकार के फैसले भारतीय बाजार में और भारतीय कंपनियों के ऊपर कब से दिखाई देगा या कहना भी कठिन है परंतु इस फैसले ने आत्मनिर्भर भारत की मजबूत नींव तैयार की है जो सशक्त और आत्मविश्वास संपूर्ण भारत बनाने में मददगार होगी.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *