कोरोना (Coronavirus) वायरस का अर्थव्यवस्था (Economy) और लोगों की जीविका पर भयावह प्रभाव दिखना शुरु हो चुका है. शहरों में निर्माण गतिविधियां और फैक्ट्रियों में कामकाज ठप होने से उनका रोजगार खत्म हो गया है, तो गांवों में भी अब उनके पास ज्यादा मौके नहीं रह गए हैं. इससे पहले जारी सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल 2020 में देश में बेरोजगारी दर बढ़कर 23.5 फीसदी पर पहुंच गई थी। सिर्फ कुछ ही महीनो में बेरोजगारी (Unemployment) दर में 14.8 फीसदी का इजाफा हुआ था।

CMIE के मुताबिक, लॉकडाउन से दिहाड़ी मजदूरों (Labour) और छोटे व्यवसायों से जुड़े लोगों को भारी झटका लगा है. इनमें फेरीवाले, सड़क के किनारे दुकाने लगाने वाले विक्रेता, निर्माण उद्योग में काम करने वाले श्रमिक और रिक्शा चलाकर पेट भरने वाले लोग शामिल हैं.

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन का ऐलान किया था जिसके कारण देश भर में उद्योग-धंधे बंद हो गए थे. सर्वे के मुताबिक बेरोजगारी की दर शहरी क्षेत्रों में सबसे ज्यादा बढ़ी है। कोरोना वायरस संक्रमित मामले अधिक होने की वजह से रेड जोन घोषित क्षेत्रों में यह दर 29.22 प्रतिशत है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 26.69 प्रतिशत है।
सर्वे के मुताबिक अप्रैल के अंत तक, दक्षिण भारत के पुडुचेरी में सबसे अधिक 75.8 प्रतिशत बेरोजगारी थी, उसके बाद पड़ोसी राज्य तमिलनाडु में 49.8 प्रतिशत, झारखंड में 47.1 फीसदी और बिहार में यह आंकड़ा 46.6 प्रतिशत था। महाराष्ट्र की बेरोजगारी दर सीएमआईई द्वारा 20.9 प्रतिशत आंकी गई थी, जबकि हरियाणा में 43.2 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 21.5 प्रतिशत और कर्नाटक में 29.8 प्रतिशत थी।

आईएलओ (ILO) ने चेताया
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन या इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन (ILO) ने बताया है कि कोरोना वायरस के कारण पूरी दुनिया में लोगों को बेरोजगार होना पड़ा है। वैश्विक स्तर पर रोजगार क्षेत्र में लगभग 10.5 फीसदी की कमी आ सकती है।
यह 30.5 करोड़ पूर्णकालिक नौकरियों के बराबर हो सकता है। कोरोना वायरस का प्रभाव लंबा खिंचने पर यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है।
पूरी दुनिया में 330 करोड़ के लगभग कामगार हैं। इसमें से लगभग दो अरब श्रमिक अनौपचारिक सेक्टर में काम करते हैं। अर्थव्यवस्था ठप होने का सबसे बड़ा असर इसी सेक्टर पर पड़ता है। सबसे ज्यादा नुकसान उन देशों को भुगतना पड़ सकता है जहां कोरोना वायरस के कारण कामबंदी की स्थिति पैदा हुई है।
लॉकडाउन में नहीं चले 95 फीसदी वाहन
Lockdown के वक़्त वहां उपयोग कर्ताओ को हुयी ज्यादा परेशानी बीओसीआई (BOCI) के अध्यक्ष प्रसन्ना पटवर्धन ने पीटीआई-भाषा को बताया था, “लॉकडाउन के दौरान हमारे वाहनों में से 95 फीसदी सड़क से दूर थे. बहुत कम बसें कंपनी के अनुबंधों के लिये संचालित होती थीं, जबकि कुछ का इस्तेमाल प्रवासी मजदूरों के परिवहन के लिए किया जाता था.”
