कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति (केपीएसएस) के अध्यक्ष संजय टिकू कश्मीर के गैर-प्रवासी पंडित समुदाय के अधिकारों के लिए श्रीनगर शहर के ऐतिहासिक गणपतियार मंदिर में अनशन पर हैं। आईएएनएस से बात करते हुए संजय टिकू ने कहा कि कश्मीर घाटी छोड़ कर न जाने वाले कश्मीरी पंडितों को नौकरी देने का सरकार का वादा अभी भी अधूरा है। 

उन्होंने कहा कि कश्मीरी पंडितों ने प्रधानमंत्री के पुनर्वास पैकेज में गैर-प्रवासी पंडितों को शामिल करने के लिए 2013 में उच्च न्यायालय में मामला दायर किया था।

टिकू ने कहा, अदालत ने केंद्र और राज्य को हमारी मांगों पर विचार करने के लिए निर्देश दिए। हम कश्मीरी पंडितों की वापसी और पुनर्वास के लिए पीएम के पैकेज में शामिल थे।

उन्होंने कहा कि एसआरओ 425 के तहत गैर-प्रवासी कश्मीरी पंडितों के लिए 500 सरकारी नौकरियों का कोटा रखा गया था लेकिन प्रक्रिया बिना किसी कारण के रुकी हुई है।

उन्होंने कहा कि समुदाय में निराशा की भावना है क्योंकि अधिकांश नौकरी के इच्छुक लोग उम्र की सीमा तक पहुंच रहे हैं।

इस बीच, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट किया, 808 कश्मीरी पंडित परिवार घाटी में ही रह गए। कालान्तर में वे श्रीनगर में बस गए। उनकी मांग पूरी नहीं की जा रही है और अब संजय टिकू मौत की ओर बढ़ रहे हैं। वो आमरन अनशन पर हैं। कश्मीरी पंडित परिवार, जिन्होंने आतंकवाद का मुकाबला किया, की उपेक्षा की जा रही है। दुखद है।

बता दें कि 1990 के दशक की शुरूआत में कश्मीर में उग्रवाद भड़कने के बाद कश्मीरी पंडित बड़ी संख्या में या तो दिल्ली चले गए या जम्मू में रहने लगे। हालाकि, कुल 808 पंडित परिवारों ने कश्मीर घाटी में रहने का फैसला किया और पलायन नहीं किया। 

Source: IANS

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