दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ(University of Delhi Teachers Association) यानी डूटा ने दिल्ली सरकार के खिलाफ एक रोलिंग क्लस्टर हड़ताल(Strike) शुरू की है। इसमें कॉलेजों के एक समूह के शिक्षक हड़ताल पर जाएंगे और एक समूह ऑनलाइन(online) विरोध कार्यक्रम में भाग लेगा। दिल्ली सरकार के खिलाफ यह हड़ताल शिक्षकों को बीते 5 महीने से वेतन न दिए जाने के खिलाफ की जा रही है। दिल्ली विश्वविद्यालय(University of Delhi) के 12 कॉलेजों में देरी से और छिटपुट अनुदान देने पर डूटा दिल्ली सरकार का विरोध कर रहा है। यह सभी कॉलेज 100 फीसदी दिल्ली सरकार के वित्त पोषित कॉलेज हैं। 12 में से छह कॉलेजों को हाल ही में (22 सितंबर) अनुदान जारी किए गए हैं। हालांकि जारी किया गया अनुदान सभी कर्मचारियों के वेतन और उनके बकाए को कवर करने के लिए पर्याप्त नहीं है। वहीं अन्य छह कॉलेजों के कर्मचारियों को अभी भी वेतन और पेंशन का इंतजार है।

डूटा अध्यक्ष रजीब रे(Rajeeb Ray) ने कहा, “सरकार अनुदान जारी न करने के लिए बहानेबाजी कर रही है। वेतन रोकना, वह भी एक महामारी के दौरान, एक अत्यंत कठोर और कर्मचारी-विरोधी तरीका है। 16 सितंबर को उपमुख्यमंत्री द्वारा दिए गए बयानों के माध्यम से, सरकार ने यह सुझाव देने के लिए एक और कदम आगे बढ़ाया है कि कॉलेजों को छात्रों से एकत्र किए गए धन से शिक्षकों के वेतन का भुगतान करना चाहिए। छात्रों से ली जाने वाली फीस का उपयोग असंख्य गतिविधियों को करने के लिए किया जाता है, जिसके लिए सरकार अनुदान नहीं देती है। इसके अलावा, इस कदम के परिणामस्वरूप शिक्षा का व्यावसायीकरण और निजीकरण होगा।”

डूटा ने कहा, “दिल्ली विश्वविद्यालय के ये कॉलेज, प्रमुख संस्थाएं हैं जो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करती हैं और समाज के सभी वर्गों के लिए सुलभ हैं। डूटा देश में सार्वजनिक वित्त पोषित उच्च शिक्षा पर ऐसे हमलों का विरोध करेगा।”

डूटा ने कहा, “वित्तीय दुर्व्यवहार के बारे में असंबद्ध बयानों के माध्यम से इन कॉलेजों की छवि को धूमिल करने के बार-बार प्रयास अस्वीकार्य है। भ्रष्टाचार के आरोप, यदि कोई हो, सिद्ध और प्रमाणित होना चाहिए। जबकि सरकार वित्तीय अनियमितताओं के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है। बार-बार इन संस्थानों को ऑडिट के अधीन रखा गया। यहां तक कि तीन ऑडिट के बाद भी धनराशि जारी नहीं की गई। 

डूटा अध्यक्ष रजीब रे(Rajeeb Ray) ने कहा, “कर्मचारी अत्यंत कठिन स्थिति में हैं, क्योंकि वेतन और पेंशन का भुगतान अब 5 महीने से अधिक नहीं किया गया है। मेडिकल बिल सहित कर्मचारियों के अन्य बकाये का भुगतान, 7 वें वेतन आयोग का बकाया और पिछले साल 2019 के लिए तदर्थ शिक्षकों का अवकाश वेतन अनुदान की अपर्याप्तता के कारण नहीं किया गया है। यहां तक कि पेंशनरों, शायद हमारे समाज के सबसे कमजोर वर्ग को भी नहीं बख्शा गया है।”

डूटा बार-बार संकेत दे रहा है कि अनुदान जारी करने में असमान और अस्पष्टीकृत देरी का इन संस्थानों पर व्यापक प्रभाव पड़ा है, जो देश के सर्वश्रेष्ठ कॉलेजों में से एक हैं। डूटा शेष छह इकाइयों को तत्काल वेतन जारी करने और लंबे समय से लंबित विषयों को कवर करने के लिए 12 कॉलेजों को पर्याप्त अनुदान जारी करने की मांग कर रहा है।

Source: IANS

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