उत्तराखण्ड की वरिष्ट नेता डॉ० इंदिरा हृदयेश का रविवार सुबह 11:35 को दिल्ली स्थित उत्तराखण्ड भवन में हुआ हृदय गति रुकने से 80 की उम्र में निधन |
उनका पार्थिव शरीर सोमवार सुबह चित्रशिला घाट में अंतिम संस्कार के लिए लाया गया। उत्तराखण्ड के मुख्य मंत्री तीरथ सिंह रावत भी दिल्ली से हल्द्वानी हवाई यात्रा करके कांग्रेस नेता की अंतिम यात्रा में शामिल हुए और भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी। सोनिया गांधी व अन्य राजनीति जगत के नेताओं ने भी दीर्घानुभवी नेता के जाने पर शोक जताया। राजनीति में कदम रखने से पहले वह महिला डिग्री कॉलेज की अध्यापिका भी रह चुकी थीं। उन्होंने अपने सियासी जीवन के सुनहरे सैंतालीस (47) वर्ष देश को समर्पित किए। राजनीतिक दल में डॉ० इंदिरा हृदयेश हमेशा से ही गांधी परिवार के रहीं थीं। विपक्ष दल के कुछ नेता बड़े सम्मान से उनको ‘दीदी’ बुलाते थे। साल 2012 में इंदिरा हृदयेश को हल्द्वानी चुनाव क्षेत्र से उत्तराखण्ड विधान सभा चुनाव में चयन हुआ। उन्होंने वर्ष 2012-2017 तक उत्तराखण्ड के वित्त मंत्री के रूप में अपनी भूमिका निभाई। इंदिरा दीदी के राज में हल्द्वानी में कई सकारात्मक परिवर्तन आए और देखते ही देखते कुछ सालों में हल्द्वानी का नक्शा बदल गया। चाहे वह सर्किट हाउस का काम हो या नैनीताल के मॉल रोड ठीक कराने का कोई भी काम अधूरा ना रहा और हल्दवानी में महिला डिग्री कॉलेज की शुरुआत भी इन्होंने ही कराई थी। वह एक बेबाक प्रवक्ता थी और सियासी राज में उनका ऐसा दबदबा था की उन्होंने एक बार अपने भाषण में बोला कि मैं अपनी कैबिनेट में अकेली मर्द हैं। जो दर्शाता है की वह कितनी महत्वाकांक्षी एवं निडर थी। पूरा उत्तराखण्ड एवं कांग्रेस उनका आभारी रहेगा और उनकी कमी हम सबको हमेशा खलेगी।
लेख- Shweta Kalakoti