Fatehpur: गंभीर अवस्था में मरीज़ की साँसे रुकने लगे तो उसको वेंटिलेटर(Ventilator) में लगाकर मशीन से साँसे देकर जान बचायी जा सकती है. निजी अस्पतालों में ये होता भी है.टूटती साँसों को वेंटिलेटर के ज़रिये बचाने की सुविधा तो है, लेकिन इनके संचालन को स्टाफ न होने के कारण आज भी ओटी(O.T.) व आइसीयू(I.C.U.) में अम्बू बैग से ही साँसे दी जा रही है. करोड़ो के खर्च पर आये वेंटिलेटर ताले में कैद है. आपको बता दें की यह हालत जिला अस्पताल व सीएचसी(CHC) बिंदकी, थरियांव व खागा की है.

जिला अस्पताल पुरुष व महिला के अलावा कोरोना कोरोना उपचार के लिए तैयार सामुदायिक अस्पताल थरियांव, बिंदकी तथा इंजीनियरिंग कॉलेज खागा में मरीज़ों के प्रयोग के लिए वेंटिलेटर लगे भी है, लेकिन इनको चलाने वाला कोई नहीं है. नतीजा कि गुज़रे एक साल से इन मशीनों पर कपडा डालकर रख दिया गया है. जिला अस्पताल के ट्रामा सेण्टर की ऊपरी मंजिल में विशेष कक्ष और आइसीयू (I.C.U.)में वेंटिलेटर तो लगा दिए है, लेकिन संचालन नहीं हो पा रहा है. अस्पतालों अव्यवस्था ख़तम होने का नाम ही नहीं ले रही है. इन असुविधाओं के बीच अस्पतालों में मरीज़ों की जान बचाने के लिये तीमारदार अब भी अम्बू बैग से ऑक्सीजन देने को मजबूर है.
प्रयासों के बाद भी नहीं मिला स्टाफ
वेंटिलेटर चलाने के लिए प्रशिक्षित स्टाफ ही जिले को मिले इसके लिए केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति(Sadhvi Niranjan Jyoti) और डीएम (D.M.)अपूर्वा दुबे (Apoorva Dubey)प्रयागराज मंडल तक पैरवी कर चुकी है. कमिश्नर की तरफ से आश्वासन भी मिला था. लेकिन आज तक जिले को वेंटिलेटर चलाने के लिए प्रशिक्षित स्टाफ नहीं मिल सका है.
फिज़ीशियन को दिलाया गया था प्रशिक्षण
सीएमएस(C.M.S.) डा. प्रभाकर(Prabhakar) जिला अस्पताल में 12 वेंटिलेटर है. चलने को अलग से स्टाफ नहीं मिला है. लेकिन अस्पताल के फिजिशियन व एनेस्थीसिया के डॉक्टरों को प्रशिक्षण दिलाकर वेंटिलेटर का संचालन करने का निर्देश दिया गया है. जो डॉक्टर ये नहीं क़र रहे है.उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी.
एनेस्थीसिया के डॉक्टर चला रहे थे वेंटिलेटर
सीएमओ(C.M.O.) राजेंद्र सिंह(Rajendra Singh) ने कहा कोरोना अस्पताल फ़िलहाल बंद है, लेकिन जब दूसरी लहर के दौरान यह चल रहे थे तो ज़रुरत पड़ने पर एनेस्थीसिया वाले डॉक्टरों से वेंटिलेटर चलवाये गए थे.