Fatehpur(फतेहपुर) : हर खेत को पानी देने की लघु सिचाई विभाग की अनुदानित बोरिग योजना से किसानों का मन हटता जा रहा है. एक तो लक्ष्य कम मिल रहा दूसरा समय से बजट न मिलने से पंजीकरण कराए किसान बोरिग में नंबर पाने को भटक रहे हैं. पहले आओ, पहले पाओ के मानक पर किसानों को बोरिग का लाभ दिया जाता है. चालू वित्तीय वर्ष में 550 के लक्ष्य में किसानों ने पंजीकरण कराया लेकिन एक साल बाद भी उनकों लाभ नहीं मिला, जिससे पचास से अधिक किसानों ने पंजीकरण रद कराकर पैसा वापस ले लिया है.
लघु सिचाई विभाग के माध्यम से किसानों को बोरिग कराने में अनुदान दिया जाता है. गहरी बोरिग में किसानों को 1.78 लाख व मध्यम बोरिग में 1.53 लाख की धनराशि अनुदान में दी जाती है. पिछले दस सालों से चल रही इस योजना से जिले में तकरीबन दस हजार से अधिक बोरिग हो गईं हैं. डार्क जोन के ब्लाकों में बोरिग पर लगाई गई रोक के बाद जिले के नौ ब्लाक योजना से बाहर हो गए. इस समय चार ब्लाकों में अनुदानित बोरिग योजना संचालित है. बजट न मिल पाने के कारण चालू वित्तीय वर्ष का लक्ष्य अधूरा पड़ा हुआ है. पंजीकरण कराए किसान बोरिग के लिए भटक रहे है.
किसान रामसुमेर , अंगद, शिवसागर आदि ने कहा कि पिछले साल बोरिग के लिए पंजीयन कराया था नंबर ही नहीं आया, रबी की फसल बिना सिचाई के बर्बाद हो गई, आखिर निजी स्तर पर ही बोरिग करानी पड़ी.
स्थिति पर एक नजर
बोरिग – लक्ष्य – लागत – अनुदान
मध्यम – 350 – 3.00 लाख – 1.53 लाख
गहरी – 200 – 4.00 लाख – 1.78 लाख अनुदानित बोरिग का लक्ष्य पूरा करने के लिए शासन से बजट की मांग की गई है. बजट मिलने पर सबसे पहले प्रतीक्षा सूची में चल रहे किसानों का चयन किया जाएगा जो संख्या बचेगी उसमें नए किसानों का चयन होगा.
लेख – टीम वाच इंडिया नाउ