Fatehpur : संविधान में खादी की परिभाषा में कहा गया है कि हाथ से काता जाए व हाथ से बुना जाए. और इसी पहल को आगे बढ़ाते हुए इलेक्ट्रानिक चरखों को नकार कर ग्राम सेवा संस्थान सूत से कपड़े तैयार कर खादी का मान बढ़ा रहा है. यहां तीन सौ से अधिक परिवारों का रोजगार बापू के चरखों से चल रहा है. बीस से अधिक गांवों में महिलाएं चरखा से सूत काट कर महीने में पांच से छह हजार रुपया की कमाई कर रही है. खास बात यह है कि इन परिवारों को इस बात का गुमान है कि हम बापू के स्वदेशी विचार को अंगीकार करते हुए खादी सूत से तैयार कपड़े प्रयोग करते है.
ग्राम सेवा संस्थान की स्थापना वर्ष 1960 में खादी को बढ़ावा देने के लिए की गई थी. यहाँ पर एक हाल में 40 से अधिक चरखे लगे है. यहां आकर महिलाएं तीन से चार घंटा काम करके सूत तैयार करती है. संस्थान आकर रोज सूत काटने वाली सुशीला, उर्मिला, सुमित्रा आदि ने कहा कि हमे इस बात का गुमान है कि हम बापू का चरखा चला कर स्वदेशी के नारे को मजबूत कर रहे है. साथ ही यह भी बताया कि चरखा चलाने में यह आभास नही होता है कि हम मजदूरी कर रहे है, ऐसा लगता है कि हम देश भक्ति का काम कर रहे है.

युवाओं को पंसद आ रही खादी
खादी के लिए समर्पित संस्थान के अध्यक्ष मेवालाल कटियार ने कहा कि इस समय संस्थान की 17 शाखाएं चल रही है, जिनमें बांदा, कर्वी, औरैया, उरई, जहानाबाद, अमौली, बरीपाल आदि शामिल है. उन्होंने ये भी कहा कि युवाओं की पंसद को देखते हुए फैशन वाले कपड़े भी तैयार किए जा रहे है.
जजमोइया था मिनी साबरमती आश्रम
आजादी के पहले अमौली ब्लाक का जजमोइया बापू के स्वदेशी कपड़े पहनने के नारे से इतना प्रभावित हुआ कि यहाँ हर घर में चरखा चलता था. यहां के बुनकरों द्वारा तैयार कपड़ा जिले के ही नहीं बल्कि बांदा, कानपुर, प्रयागराज आदि के क्रांतिकारी पहनते थे. बुंदेलखंड समेत कई जिलों के लिए जजमोइया खादी का मुख्य केंद्र था. इतिहासकार डॉ. ओमप्रकाश अवस्थी बताते है कि बिदकी रामलीला मैदान में जब गांधी जी आए थे तो जजमोइया की जानकारी मिलने पर बहुत खुश हुए और कहा था कि बहुता अच्छा. जजमोइया फतेहपुर का साबरमती आश्रम है.
25 फीसद छूट में मिलेगी खादी
गांधी जयंती के अवसर पर खादी में 25 फीसद की छूट शुरू हो जाएगी. संस्थान के अध्यक्ष ने बताया कि अभी तक मात्र दस फीसद छूट मिलती थी. केंद्र सरकार की ओर से दो अक्टूबर से 25 फीसद छूट पर खादी के सभी कपड़े मिलेंगे.
लेख – टीम वाच इंडिया नाउ
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