Agra : जाको राखें साइयां……….मार सके न कोई.
इसी कहावत को सही साबित करते हुए मंगलवार सुबह आगरा में एक घटना सामने आई है. सड़क किनारे पानी से भरे गहरे गड्ढे में एक स्कूली वैन अनियंत्रित होकर जा गिरी. पूरी वैन पानी में डूब चुकी थी और करीब 11 बच्चे सवार थे. कीचड़ के पानी में डूबे बच्चे एक पल तो कुछ समझ ही नहीं पाए कि आखिर ये हुआ क्या, जब उन्हें समझ आया तो डर के मारे सभी बच्चे चीखने चिल्लाने लगे. चीख पुकार सुनकर आसपास से गांव के लोग दौड़े चले आए. एक के बाद एक ग्रामीण पानी में कूद गए और वैन के शीशे तोड़कर बच्चों को बाहर निकाला. राहत की बात ये रही कि बच्चों को मामूली चोटें आयी हैं उधर बच्चों के मां-बाप ग्रामीणों का शुक्रिया अदा करते नहीं थक रहे हैं.

फतेहपुर सीकरी थाना क्षेत्र के अंतर्गत मनीष पब्लिक स्कूल (Manish public school) की वैन अनियंत्रित होकर मंगलवार सुबह छह बजे सड़क किनारे बने गहरे गड्ढे में गिर गई. इस गड्ढे में गंदा पानी भरा हुआ था. ये स्कूल भरतपुर के थाना चिकसाना के अंतर्गत गांव नगला जंगी में संचालित है. वैन चालक पुत्तू (Puttu) फतेहपुर सीकरी के गांव से बच्चों को लेकर स्कूल छोड़ने जा रहा था. तभी रास्ते में वैन एकदम से अनियंत्रित होकर सड़क किनारे गहरे गड्ढे में पलट गई. पलटने की आवाज भी हुई, लेकिन तब तक ग्रामीण कुछ समझ नहीं पाए कि आखिर किसकी आवाज है.
इसके बाद बच्चों की चीखपुकार सुनाई दी तो सभी अपने काम छोड़कर घटनास्थल पर पहुंच गए. बिना पुलिस का इंतजार किए लोग एक के बाद एक गड्ढे में कूदते गए. सरपंच राजेंद्र सोलंकी (Rajendra solanki) ने बताया कि तब तक वैन चालक शीशा तोड़कर बाहर निकल चुका था और वह भी शोर मचा रहा था. ग्रामीणोंं ने वैन की खिड़कियों पर लगा कांच तोड़कर बच्चों को बाहर निकालना शुरू किया. सभी बच्चों को पहले वैन की छत पर बिठा लिया गया. सुबह छह बजे हल्की ठंड तो थी ही, साथ ही गड्ढे में भरा पानी भी ठंडा था. दहशत और ठंडे पानी की वजह से बच्चे कांप रहे थे. ग्रामीणों ने एक-एक कर बच्चों को गड्ढे से बाहर निकालकर रेस्क्यू किया.

इधर सूचना मिलने पर अभिभावक भी मौके पर पहुंच गए. उन्होंने ग्रामीणों द्वारा किए गए इस बचाव कार्य के प्रति शुक्रिया अदा किया. माना जा रहा है कि स्टियरिंग फेल होने के चलते वैन गड्ढे में जा गिरी थी. उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह मलपुरा क्षेत्र में एक स्कूली बस सड़क पर भरे तालाब के पानी में अनियंत्रित होकर पलट गई थी. तब भी ग्रामीण मददगार साबित हुए थे.