Fatehpur : फतेहपुर अपने 195वीं वर्षगांठ बनाने को तैयार हैं. साहित्यकारों, समाजसेवियों, व्यापारियों समेत हर वर्ग के लोगों में गजब का उत्साह हैं. गौरवान्वित करने वाले 10 नवंबर के दिन का हर किसी को इंतजार है. कोई शहीद स्मारकों पर दिए जलाएंगा, कहीं गोष्ठी तो कोई पौधरोपण के साथ गौरवशाली इतिहास को समेटे अपने फतेहपुर के विकास और समृद्धि की कामना करेंगे.

10 नंबवर 1882 को अस्तित्व में आए फतेहपुर ने 195 साल में बड़े उतार चढ़ाव देखे हैं. अंग्रेजी हुकूमत के खौफनांक मंजर और स्वतंत्रता के लिए मर मिटने वाले रणबांकुरों के बलिदान समेत तमाम इतिहास आज भी दोआबा के सीने में दफन है. अपनी मिट्टी की खुशबू से उत्साहित 30 लाख आबादी दोआबा के इतिहास को लेकर खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. हर कोई हैप्पी बर्थडे फतेहपुर के साथ 10 नवंबर को ऐतिहासिक बनाने को बेताब हैं.

सांस्कृतिक, पौराणिक, ऐतिहासिक भूमि है दोआबा

दोआबा ने झंडा गीत की रचना, राष्ट्रकवि सोहनलाल द्विवेदी, कन्हैयालाल नंदन, अशोक बाजपेई, स्वर्गीय रमानाथ अवस्थी समेत तमाम साहित्य के नगीने दिए हैं. गंगा और यमुना के बीच दोआबा की धरा साहित्यिक, सांस्कृतिक, पौराणिक व ऐतिहासिक, पुरातात्विक विरासत को सहेजे हुए हैं.

लेख – टीम वाच इंडिया नाउ

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