Corona का डर और दौर अभी खत्म भी नहीं हुआ था कि अचानक अब एक और बीमारी ने अपने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं. देश में कोरोना संकट के बीच बर्ड फ्लू के नए खतरे ने दस्तक दे दी है. अब धीरे धीरे बर्ड फ्लू फैल रहा है. भारत में बर्ड फ्लू के मामले बढ़ते जा रहे हैं. बर्ड फ्लू एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस (H5N1) की वजह से होता है. राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड और हिमाचल प्रदेश में इस वायरस को लेकर अलर्ट जारी कर दिया गया है. ये वायरस संक्रमित पक्षियों और इंसानों दोनों के लिए भी बहुत खतरनाक है.

राजस्थान और मध्यप्रदेश के बाद हिमाचल प्रदेश के पाेंग डैम अभयारण्य में एक हफ्ते में 1,000  से अधिक प्रवासी पक्षी मृत पाए गए हैं। पाेंग डैम अभयारण्य में हर साल अक्तूबर से मार्च तक रूस, साइबेरिया, मध्य एशिया, चीन, तिब्बत आदि देशों से विभिन्न प्रजातियों के रंग-बिरंगे परिंदे लंबी उड़ान भर यहां पहुंचते हैं और पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। अब इन पक्षियों की अचानक मौत हो रही है। बता दें कि साल 1997 में हांगकांग के मुर्गीपालन व्यवसाय से जुड़े लोगों में ये बीमारी फैली. कोई जानकारी न होने के कारण संक्रमित चिकन लेने वाले भी बीमार होते गए और काफी नुकसान हुआ था. इसके बाद ही H5N1 वायरस का पता चला था. तब पोल्ट्री में काम करने वालों के लिए अलग प्रोटोकॉल बना.

बर्ड फ्लू पक्षियों, इंसानों और जानवरों को भी हो सकता है, हालांकि वायरस से होने वाली इस बीमारी के ज्यादातर रूप पक्षियों तक ही सीमित हैं. इसका सबसे आम रूप H5N1 एवियन इंफ्लूएंजा कहलाता है. ये बेहद संक्रामक है और समय पर इलाज न मिलने पर जानलेवा भी हो सकता है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के मुताबिक सबसे पहले एवियन इंफ्लूएंजा के मामले साल 1997 में दिखे. संक्रमित होने वाले लगभग 60 प्रतिशत लोगों की जान चली गई.

अगर बर्ड फ्लू का वायरस मुर्गियाें में भी पाया गया, तो यह सबसे बड़ा खतरा बन जाएगा। मुर्गियों से इंसानों में वायरस फैलने की अधिक संभावना रहती है। इसके अलावा शीतकालीन प्रवास के लिए हजारों की संख्या में विदेशी पक्षी प्रदेश में आए हुए हैं। इनमें भी वायरस का डर सताने लगा है। सांभर झील त्रासदी के समय भी सबसे अधिक विदेशी पक्षी ही महामारी की चपेट में आए थे।मृत परिंदों के सैंपल लेकर मध्यप्रदेश के भोपाल की एक प्रयोगशाला में भेजे गए हैं। रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के कारणों का पता चल पाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *