भारत में कोरोना (Coronavirus) की की समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने पीएम केयर्स फंड (PM Cares Fund) का निर्माण किया था परंतु कुछ विपक्षी नेता और समाज सेवक लगातार फंड पर सवाल उठाते रहे हैं. दीपक चाहर समाज सेवक लगातार पीएम केयर्स फंड के बहाने प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) पर निशाना साधते रहे हैं और उन और उनकी सरकार पर सवाल भी खड़े करते रहें हैं. इन सबके बीच मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय का पीएम केयर्स फंड से जुड़ी एक याचिका पर यह फैसला आया.
अपने फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि प्राइम मिनिस्टर्स सिटीज़न असिस्टेंटस एंड रिलीफ़ इन इमर्जेंसी सिचुएशंस (पीएम केयर्स) फ़ंड को नेशनल डिज़ास्टर रिलीफ़ फ़ंड (एनडीआरएफ़) में ट्रांसफ़र करने की कोई ज़रूरत नहीं है.
सर्वोच्च न्यायालय में एक एनजीओ सेंटर फ़ॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटीगेशन, द्वारा दायर की गई याचिका को खारिज करते हुए न्यायालय ने कहा कि पीएम केयर्स फ़ंड के पैसे को एनडीआरएफ़ में ट्रांसफ़र करने का आदेश नहीं दिया जा सकता है.
गौरतलब है कि इस एनजीओ ने सर्वोच्च न्यायालय में दायर अपनी याचिका में अपील की थी कि कोरोना वायरस महामारी के चलते पीएम केयर्स फ़ंड्स को केंद्र सरकार द्वारा ट्रांसफर किए जाए. एनजीओ ने अपनी इस याचिका में पीएम केयर्स फ़ंड पर सवाल उठाते हुए कहा था कि केंद्र की मोदी सरकार पीएम केयर्स फ़ंड में अब तक आए पैसों के बारे में जानकारी देने से बच रही है. एनजीओ ने अंदेशा जताया था कि सरकार इन पैसों को कोरोना महामारी में इस्तेमाल करने के बजाए अपने किसी निजी उद्देश्य के लिए इस्तेमाल कर रही है. लेकिन दलीलों और सबूतों को सुनने और देखने के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुनाया और तय कर दिया कि पीएम केयर्स फंड में जमा हुए पैसों को किसी भी रूप में कहीं पर भी ट्रांसफर नहीं किया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया
हमेशा की तरह सरकार और प्रधानमंत्री मोदी के पक्ष में आने वाले सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों की तरह ही कांग्रेस ने सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले का स्वागत नहीं किया. मंगलवार को हाय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर कांग्रेस ने कहा के न्यायालय के इस निर्णय से पारदर्शिता और सरकार की जवाबदेही तय करने वाले लोगों को तगड़ा झटका लगेगा. यह निर्णय लोगों को पारदर्शिता और सरकार की गड़बड़ियों पर सवाल उठाने से रोकता है.
सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर कांग्रेस की ओर से प्रतिक्रिया देने के लिए उपस्थित हुए कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सर्वोच्च अदालत के पास इस फ़ंड में पारदर्शिता लाने का मौक़ा था, “जिसके अपने अस्पष्ट और संदेहास्पद नियम”, हैं.
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण की अगुवाई वाली बेंच ने पीएम केयर्स फंड पर अपने फ़ैसले में कहा कि एनडीआरएफ़ में हमेशा से स्वैच्छिक योगदान दिया जा सकता है क्योंकि डिज़ास्टर मैनेजमेंट एक्ट में इसके लिए संवैधानिक रोक नहीं है.
भाजपा का कांग्रेस पर पलटवार
एक तरफ,पीएम केयर्स फंड बनाए सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए बीजेपी ने जस्टिस भूषण की अध्यक्षता वाली बेंच के फैसले को सही ठहराया. वहीं दूसरी तरफ, भाजपा ने कांग्रेस को आड़े हाथ लिया और जमकर उस पर वार किया. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा या जेपी नड्डा ने कहा है कि पीएम केयर्स फ़ंड पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला राहुल गांधी और उनके, “किराए पर सामाजिक मसलों को उठाने वाले एक्टिविस्ट्स के समूह”, के ग़लत इरादों को एक तगड़ा झटका बताया है.
कांग्रेस पर पलटवार करते हुए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा,”पीएम केयर्स फ़ंड में कानूनी अनिवार्यताओं और पैसों के पारदर्शी प्रबंधन के लिहाज से पारदर्शिता एकदम स्पष्ट है. पीएम केयर्स फंड को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में बिना वजह निशाना बनाया गया है.”
रविशंकर प्रसाद ने आगे कहा, “राहुल गांधी अपने सलाहकारों की राय के आधार पर ऐसा करते रहे हैं. राहुल गांधी ने लगातार अपने बयानों से अलग-अलग मोर्चों पर देश को कमज़ोर किया है.”
पीएम केयर्स फंड पर क्या बोले रविशंकर प्रसाद?
एक तरफ जहां रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस और उनके प्रवक्ताओं को सटीक और चुभने वाली प्रतिक्रियाएं दी और कांग्रेस को उसके गलत बयानबाजी पर खूब लताड़ा तो वहीं पीएम केयर्स फंड पर बोलते हुए रविशंकर प्रसाद ने बताया कि पीएम केयर्स फ़ंड को चलाने में कानून का पालन किया गया है. प्रसाद ने बताया कि फ़ंड ने कोरोना वायरस से लड़ने के लिए अब तक 3,100 करोड़ रुपये का योगदान किया है. उन्होंने कहा कि इस 3,100 करोड़ रुपये की रकम में से 2,000 करोड़ रुपये वेंटीलेटर्स के लिए, 1,000 करोड़ रुपये प्रवासी मजदूरों के लिए और 100 करोड़ रुपये वैक्सीन विकसित करने के लिए दिए गए हैं.
प्रशांत भूषण की प्रतिक्रिया
सर्वोच्च न्यायालय पर रखी गई अपनी टिप्पणियों के चलते पहले ही विवादों में चल रहे प्रशांत भूषण ने एक बार फिर से सर्वोच्च न्यायालय पर सवाल उठाए हैं. आपको बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय ने प्रशांत भूषण पर न्यायालय की अवमानना करने के मामले में उन्हें नोटिस दिया है.
प्रशांत भूषण ने अपने एक साक्षात्कार में कहा, “डिज़ास्टर मैनेजमेंट एक्ट के सेक्शन 46 में साफ़ लिखा है कि आपदा के वक्त कोई भी पैसा आता है तो वह एनडीआरएफ़ में आता है. इसलिए किसी नए फ़ंड को बनाने की कोई ज़रूरत ही नहीं थी.”
उन्होंने आगे कहा, “एनडीआरएफ की सीएजी ऑडिट कर सकता है. इसमें आरटीआई प्रभावी होती है. लेकिन, पीएम केयर्स फ़ंड का न तो सीएजी से ऑडिट हो सकता है और न ही इसमें आरटीआई के जरिए जानकारियां मांगी जा सकती हैं.”
प्रशांत भूषण की मानें तो सरकार पीएम केयर्स फंड की जानकारियां छुपा कर गलत कर रही है और इसके पीछे सरकार की मंशा समझ नहीं आती. फंड के पैसे का कैसे इस्तेमाल होना है इसके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है.
इससे पहले भी दाखिल हुई है याचिका
इससे पहले अप्रैल में सर्वोच्च न्यायालय के वकील शाश्वत पांडे ने न्यायालय में एक याचिका दायर कर पीएम केयर्स फंड को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की थी. आपको बता दें कि इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने 27 अप्रैल को खारिज कर दिया था.
सर्वोत्तम न्यायालय के फैसले पर शाश्वत पांडे ने कहा कि इस फंड का पैसा एनडीआरएफ में ट्रांसफ़र किया जाए. इस याचिका में इस फ़ंड को असंवैधानिक घोषित करने की मांग नहीं की गई थी, बल्कि इसमें केवल सरकार की मंशा पर सवाल उठाया गया था. इसके साथ उन्होंने इसकी सीएजी से ऑडिट करने की भी मांग की है.