Fatehpur : बेसिक शिक्षा विभाग इन दिनों नामांकन लक्ष्य पूरा करने के लिए शिक्षकों पर जबरदस्त दबाव डाल रहा है. अप्रैल माह में नामांकन लक्ष्य पूरा करने के दबाव के चलते शिक्षकों में भारी रोष है. सूत्र बताते हैं कि, नोटिस व निलंबन जैसी धमकियों के चलते शिक्षक विभाग को झूठे आंकड़े भी दे सकते हैं. अब तक बीते वर्षों में परिषदीय स्कूलों में नामांकन प्रक्रिया सामान्य तौर पर सितंबर माह तक चलती रही है.

अप्रैल में स्कूल चलो अभियान के साथ शिक्षकों पर हाउस होल्ड सर्वे के अन्तर्गत घरों में जाकर न केवल बच्चों की गिनती करने की जिम्मेदारी है बल्कि उन बच्चों को चिन्हित कर विद्यालयों में प्रवेश दिलाने के निर्देश हैं, जो अब तक कहीं भी नामांकित नहीं हैं. भीषण तपिश में घर जाकर सर्वे करने में ही शिक्षकों के पसीने छूट रहे हैं. विभाग का आदेश है कि, सर्वे इसी माह पूरा कर नामांकन लक्ष्य पूरा कर लिया जाए.
इसी माह स्कूल रेडीनेस कार्यक्रम भी शुरू कर दिया गया है. निपुण अभियान के अन्तर्गत अन्य कार्यक्रम भी नियमित अंतराल पर होते हैं.

बीस फीसदी अधिक दिया गया लक्ष्य

इस बार स्कूलों में पिछले सत्र की तुलना में बीस फीसदी अधिक नामांकन करने का लक्ष्य दिया गया है. छोटे मजरों व पहले से ही नामांकन के शीर्ष पर पहुंच चुके स्कूलों के लिए यह काफी कठिन है. कई स्कूलों में पिछले सत्र में कक्षा- 5 में अध्ययनरत बच्चे काफी अधिक संख्या में निकले हैं. पहले उनकी भरपाई करना ही बड़ा काम है. शिक्षक बताते हैं कि, निजी स्कूलों में निरंतर बढ़ोत्तरी व जनसंख्या में अपेक्षित वृद्धि न होने के कारण बीस फीसदी का लक्ष्य देना समझ से परे है.

अप्रैल में ही पूरा करने पर जोर क्यों?

आरटीई एक्ट (RTE Act) के मुताबिक आयु के अनुसार बच्चों का प्रवेश कभी भी कराया जा सकता है. परिषदीय स्कूलों में सितंबर के आखिरी दिवस को आधार मानकर विभागीय कार्य कराए जाते हैं. इस स्थिति में अप्रैल में ही नामांकन लक्ष्य पूरा करने का जोर क्यों डाला जा रहा है? शिक्षक इस पर सवाल खड़े कर रहे हैं. सूत्र बताते हैं कि, इसके लिए शिक्षकों को नोटिस व निलंबन की धमकियां भी दी जा ही हैं.

लेख – टीम वाच इंडिया नाउ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *