Fatehpur : फतेहपुर के अंदर नगर पंचायत और कस्बा से सटे गांवों के लोगों को सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ लेने के लिए बड़ी ही मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. सरकारी अस्पताल की स्थिति बेहद खराब हो चुकी है. एएनएम सेंटर (ANM Center) में चल रहे उपस्वास्थ्य केंद्र में डाक्टर और संसाधन दोनों की ही कमी है.

यहाँ पर 50 हजार से अधिक की आबादी को स्वास्थ्य सेवाओं के लिए झोलाछाप डॉक्टरों के ऊपर निर्भर रहना पड़ता है. बिल्डिंग की हालत बेहद जर्जर होने की वजह से मरीज और स्वास्थ्य कर्मी दोनों ही यहां रुकने से घबराते हैं.

किशुनपुर (Kishanpur) नई बस्ती स्थित एएनएम सेंटर को उपस्वास्थ्य केंद्र के रूप में बदला गया. अफसरों ने क्षेत्र के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए सरकारी अस्पताल का संचालन किया. हौसला पाल, जय सिंह, अचल सिंह, सुंदरलाल तथा राम जी आदि ग्रामीणों ने बताया कि, कुछ दिनों तक ही अस्पताल से ठीक-ठाक सेवाएं प्राप्त हुईं.

बीते पांच वर्षों से यहां कभी डाक्टर तो कभी दवाओं की कमी बनी हुयी है. बिल्डिंग के बारे में अस्पताल आने वाले लोगों का कहना था कि, बेहद जर्जर स्थिति में पहुंचने के बाद भी इसकी मरम्मत नहीं हो रही है.

चहारदीवारी और स्टोर की असुविधा

अस्पताल आने वाले लोगों का कहना था चहारदीवारी का इंतेज़ाम न होने की वजह से मवेशी मैदान पर घूमते रहते हैं. परिसर में गंदगी की वजह से मरीज व तीमारदार यहां रुकने से घबराते हैं. इसी के साथ अस्पताल में स्टोर की व्यवस्था भी कई सालों बाद नहीं हो सकी. दवाओं की अक्सर कमी बनी रहने की वजह से मरीज भी बहुत कम ही आते हैं. कर्मचारियों के लिए भी अस्पताल में शौचालय व पेयजल की अच्छी व्यवस्था नहीं है.

फार्मासिस्ट, वार्ड ब्वाय के सहारे अस्पताल

उपस्वास्थ्य केंद्र में दो चिकित्सक समेत छह कर्मचारियों का स्टाफ नियुक्त है. अधिकांश दिनों में यहां फार्मासिस्ट (Pharmacist) और वार्ड ब्वाय (ward boy) मिलकर ही मरीज देखते हैं. चिकित्सकों की गैर मौजूदगी को लेकर कई बार शिकायतें भी की गयी है. इसके बावजूद ध्यान न दिए जाने की वजह से यहाँ की सेवाओं में सुधार नहीं हो पाया है.

इसलिए नहीं मिलती स्वास्थ्य सेवा

उपस्वास्थ्य केंद्र में मौजूदा समय पर डा. प्रदीप कुमार सिंह (Dr. Pradeep Kumar Singh), डा. उपेंद्र कुमार (Upendra Kumar) के अलावा फार्मासिस्ट गजेंद्र सिंह (Gajendra Singh), लैब सहायक अरुण कुमार (Arun Kumar) तथा वार्ड आया रूबी सिंह (Rubi Singh) की तैनाती है. पर्याप्त स्टाफ होने के बावजूद मरीजों को अच्छी सेवाएं नहीं मिलती हैं.

विजयीपुर के पीएचसी (PHC) चिकित्सा अधिकारी डा. ब्रजेश पांडेय (Dr. Brajesh Pandey) ने कहा-

अस्पताल की इमारत छोटी है. अलग-अलग कमरों में डाक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों के बैठने की व्यवस्था नहीं है. इसके बावजूद प्रतिदिन ओपीडी (OPD) होती है. स्टोर के लिए जगह नहीं है, यह बात सही है. डाक्टरों की गैर मौजूदगी की जांच होगी. गैर हाजिर रहने वाले स्वास्थ्य कर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी.

लेख – टीम वाच इंडिया नाउ

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