Fatehpur : फतेहपुर के अंदर जितनी भी गौशालाएं है, सभी के हालात बद से बदतर है. गौशालाओं की ऐसी हालत है जो देखी नहीं जा सकती. ऐसी ही असोथर (Asothar) के जमलामऊ (Jamlamau) में चलायी जा रही गोशाला का बुरा हाल है.

जिले में जब गोशालाओं की जाँच पड़ताल शुरू हुयी तो गुरुवार को जब असोथर के जमलामऊ पहुँचे तो पाया गया की गोवंश के शव को कुत्ते नोंचते हुए दिखे. संख्या से अधिक गोवंश होने के कारण उनके लिए पर्याप्त चारे की व्यवस्था नहीं की जा पाती है, जिससे भूख से गोवंशों की मौत होने की बात कही जा रही है.

जमलामऊ गोशाला में 139 गोवंश हैं. इसकी क्षमता 125 गोवंश रखने की है. यहां दो टिन शेड पड़े हैं लेकिन कड़ाके की ठंड में ये गोवंशों के लिए पर्याप्त नहीं है. यहां भूसे के स्थान पर गोवंशों को खाने के लिए पुआल (धान की लकड़ी) दिया जा रहा है. कभी-कभार ही थोड़ा बहुत भूसा दिया जाता है.

जमलामऊ गोशाला में खुले में बैठे गोवंश

गुरुवार को गोशाला में दो गोवंश मृत पड़े मिले, जिनके शव को कुत्ते नोंचकर खा रहे थे. इनके अलावा एक बीमार गोवंश मरणासन्न हालत में पड़ा था. ग्राम पंचायत के अधीन संचालित इस गोशाला की देखरेख की जिम्मेदारी पंचायत की है. जिसमे पंचायत पूरी तरह से फेल साबित हो रही है.

ग्राम पंचायत अधिकारी सचिन कुमार (Sachin Kumar) ने बताया कि भूसे का दाम 800 से लेकर 1000 रुपये तक प्रति क्विंटल हो गया है. ऐसे में भूसे के बजाय पुआल का अधिक सहारा लेना पड़ रहा है. सरकार से प्रति गोवंश 30 रुपये मिलता है, जिसमें भूसा, तेल, नमक, पशु आहार और हरे चारे की व्यवस्था करनी पड़ती है. यही कारण है की गोवंशों के लिए पर्याप्त चारे की व्यवस्था नहीं हो पाती है.

लेख – टीम वाच इंडिया नाउ

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