Fatehpur : फतेहपुर में शिक्षा विभाग परिषदीय विद्यालयों में बच्चों की संख्या बढ़ाने पर तो जोर दे रहा है, लेकिन स्कूलों की सुविधाओं पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. हालात यह है कि, कई विद्यालयों में हैंडपंप खराब होने से बच्चों को या तो घर से बोतल में पानी लाना पड़ता है या फिर प्यासा ही भटकना पड़ता है.

बता दें कि, जिले में कुल 2128 परिषदीय स्कूलों में 467 हैंडपंप स्थाई रूप से खराब हैं. इनके रिबोर के लिए बार-बार ग्राम पंचायतों से लिखा-पढ़ी हो रही है. लेकिन प्रधान समस्याों को नजरंदाज कर रहे हैं. पीने के पानी का संकट होने के कारण अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने में भी कतरा रहे हैं. जिससे उनकी शिक्षा पर भी बुरा असर पड़ रहा है.

प्राथमिक विद्यालय कटरा अब्दुलगनी नगर क्षेत्र में एक शिक्षक 79 बच्चों को पढ़ाती है. एक ही कक्षा में संचालित पांच कक्षाओं वाले विद्यालय में पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है. हैंडपंप दो साल से खराब है. इस स्कूल के बच्चे महात्मा गांधी पूर्व माध्यमिक विद्यालय परिसर में लगे हैंडपंप में पानी पीने जाते हैं.
उच्च प्राथमिक विद्यालय लाला बाजार में 38 बच्चे पढ़ रहे हैं. एक शिक्षक की तैनाती है. बच्चों के पानी पीने के लिए लगा हैंडपंप सिर्फ शोपीस बनकर खड़ा है. वही, रसोइया को भी खाना पकाने के लिए दूर से पानी लाना पड़ता है.

प्राथमिक विद्यालय खेलदार नगर क्षेत्र में लगा हैंडपंप लगने के बाद एक दिन भी नहीं चला. इस स्कूल में 126 बच्चे हैं. इन्हें पढ़ाने के लिए एक शिक्षक और एक शिक्षामित्र की तैनाती है. यहां के बच्चों को उच्च प्राथमिक बालिका विद्यालय खेलदार में पानी पीने जाना पड़ता है. यहीं से पानी लाकर रसोइया एमडीएम (Mid day mil) बनाती हैं.

कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय असोथर में पीने के पानी का बड़ा संकट है. यहां पर तीन हैंडपंप लगे हैं. इनमें एक तीन साल से और दूसरा तीन महीने से खराब है और तीसरा हैंडपंप भी पानी का साथ छोड़ रहा है. ऐसे में 100 बालिकाओं वाले इस विद्यालय में पानी की बड़ी परेशानी है.

बीएसए संजय कुमार कुशवाहा (Sanjay Kumar Kushwaha) ने मामले में कहा कि-

खराब हैंडपंपों की सूची डीएम (DM) के माध्यम से जिला पंचायत राज अधिकारी और नगर पालिका को भेजी जाती है. मार्च की शुरुआत में इस बार भी सूची भेजी गई है, लेकिन अभी तक खराब हैंडपंपों को रिबोर करने और मरम्मत का काम शुरू नहीं हुआ है. हैंडपंप सही न होने से कई स्कूलों में पीने के पानी का संकट है.

लेख – टीम वाच इंडिया नाउ