- जांच के नाम पर सीएमओ दफ्तर ने की महज खानापूर्ति
- सेटिंग के बाद कुछ ही दिनों में खुल गया था फर्जी अस्पताल का ताला
- विकास हॉस्पिटल एवं प्रसव केंद्र में मासूम की मौत की जांच पुलिस ने डाली ठंडे बस्ते में, स्थानीय चौकी पुलिस की भूमिका भी संदिग्ध
- करीब 20 साल से गोपालगंज पीएचसी से चला रहा जिले भर के नर्सिंग होमों का सिंडीकेट
Fatehpur : देश भर में जेंडर रेशियों की हालत में सुधार के लिए केंद्र की मोदी सरकार मेहनत कर रही है. भ्रूण हत्या को रोकने के लिए सरकार ने इस मामले में सख्त कानून तक बना दिया है. मामले में दोषी के खिलाफ जेल तक भेजने का प्रावधान है, लेकिन लगता है कि, सरकार ये निमय-कायदा फतेहपुर जिले में लागू नहीं होता है.
जिले में स्वास्थ्य विभाग के दो कर्मचारी धड़ल्ले से फर्जी नर्सिंग होमों का संचालन बीते कई साल से कर रहे है और तो और कुछ दिनों पहले की विकास हॉस्पिटल एवं प्रसव केंद्र में मासूम की मौत की जांच भी पुलिस ने ठंडे बस्ते में डाल दी है. सूत्रों की माने तो पूरे मामले में आबूनगर पुलिस की भूमिका भी संदिग्ध है. गोपालगंज पीएचसी (Gopalganj PHC) में सुपरवाईज के पद पर तैनात कर्मचारी और कोराई के सरकारी अस्पताल में तैनात दोनों ही कर्मचारियों ने सेटिंग के जरिए जांच को प्रभावित करने की कोशिश की है.
ऐसे में सवाल उठता है कि, आखिर ऐसे कर्मचारियों पर कार्रवाई करने से जिले का स्वास्थ्य महकमा क्यों भय खाता है. 20 साल से एक ही जगह पर भ्रष्टाचार की जड़े जमा चुके इस कर्मचारी के कारमाने जिले में काफी चर्चित है. सूत्र बताते हैं कि, जिले के स्वास्थ्य हमकमें के नंबर एक और नंबर दो अधिकारियों से इसकी बहुत पटती है, जिसका इसे हर बार फायदा मिलता है.
लेख – टीम वाच इंडिया नाउ