Fatehpur : जिले में सिंगल यूज प्लास्टिक (Single Use Plastic) पर प्रतिबंध लगने के बाद शुरुआती दौर में इसके खिलाफ अभियान भी चलाया गया, लेकिन समय के साथ अभियान में सख्ती न दिखाई देने के कारण एक बार फिर प्रतिबंधित पॉलीथीन का प्रयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है. नगर पालिका का पालीथिन के खिलाफ चलाया जा रहा अभियान पूरी तरह से फेल है. नगर में कूड़े के ढेर में आने वाला पालीथिन खाने से गोवंशियों की जान जा रही है. यह चौकाने वाला तथ्य गोवंशी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद सामने आया है. इसके बाद भी पालीथिन का प्रयोग पर नगर पालिका कड़े कदम नहीं उठा पा रही है. हर किसी के हाथों में प्रतिबंधित पॉलीथीन देखी जा सकती है. वहीं, कूड़ेदान में अधिक मात्रा में पड़े होने के कारण यह मवेशियों के पेट तक पहुंच रही है.

कूड़े में जीवन तलाशते मवेशी हो रहे बीमार

सड़कों में घूमते जानवर प्रतिबंधित पॉलीथीन की कूड़ेदान में अधिकता के कारण इसमें जीवन तलाशते हुए इसे खाकर अपना पेट भर रहे है, जिससे अधिक संख्या में मवेशी बीमार हो रहे है. प्रतिदिन दोआबा में इस्तेमाल होने वाली कुंतल भर से ज्यादा प्रतिबंधित पॉलीथीन अधिकतर कूड़े में पाई जाती है.

नालियों में जाकर फंसने से होता जलभराव

प्रतिबंधित पॉलीथीन के नष्ट न होने के कारण यहां वहां फेंकने से नालों व नालियों तक पहुंचने वाली पॉलीथीन के कारण यह जलभराव का भी कारण बनती है. जिससे शहर के विभिन्न मोहल्लों में जलभराव की समस्याएं भी खड़ी होती हैं. बारिश के पानी के साथ बहकर नालियों में पहुंचने के से नालियाँ जाम हो जाती है. जिससे कई समस्याएं सामने आती हैं.

दुकानों में किया जा रहा प्रयोग

पॉलीथिन को प्रतिबंधित करने में पहले चलाए गए अभियान के दौरान दुकानदार इसका इस्तेमाल छिपकर कर रहे थे, लेकिन अभियान ने कुछ ही समय में दम तोड़ दिया, जिसके चलते एक बार फिर इसका धड़ल्ले से प्रयोग किया जाने लगा है. विभिन्न स्थानों पर लगने वाले कूड़े के ढेर में करीब 90 प्रतिशत कूड़ा प्रतिबंधित पॉलीथीन का रहता है.

ईओ मीरा सिंह (EO Meera Singh) का कहना है कि, जल्द ही सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा. छोटे दुकानदारों के साथ ही सप्लायरों को भी चिंहित कर उनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए इसके प्रयोग पर रोक लगायी जाएगी.

लेख – टीम वाच इंडिया नाउ

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