- विकास हॉस्पिटल व प्रसव केंद्र में लापरवाही से हुई मामूस की मौत के मामले में पुलिस को साधने में जुटा
- करीब 20 साल से गोपालगंज पीएचसी में तैनात है कर्मचारी के अस्पताल में हुई नवजात की मौत के मामले में जांच कर रही स्थानीय पुलिस, चढ़ावा चढ़ाकर काम निकलवाने में हासिल है महारत
- डॉक्टरी का ककहरा ना जानने वाला गोपालगंज पीएचसी का कर्मचारी भी विजिटिंग कार्ड में बन गया डॉक्टर
Fatehpur : सूबे की योगी सरकार स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के लिए लगातार ठोस कदम उठा रही है, जिससे मरीजों को अच्छा और सस्ता इलाज मिल सके, जिसकी वजह से सरकारी डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई है, और जो भी सरकारी डॉक्टर प्राईवेट प्रैक्टिस करता पाया जाता है उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई भी की जाती है.
ऐसे में फतेहपुर जिले की गोपालगंज पीएचसी (PHC) और कोराई के सरकारी अस्पातल के कर्मचारी पैसा तो सरकार से लेते है लेकिन काम सरकार की नीतियों के खिलाफ करने में जुटे है और जिले का स्वास्थ्य महकमा इसमें उनका पूरा साथ भी देता है. अब साथ क्यों देता है? इसका मतलब साफ है. जिले के आधा दर्जन से अधिक अस्पतालों में पार्टनरशिप के जरिए मौत की दुकान चालने वाले इस कर्मचारियों पर सब सबूत होने के बावजूद कोई कार्रवाई आखिर स्वास्थ्य महकमा क्यों नहीं करता है, जबकि दोनों की कर्मचारियों ने बाकायादा विजिटिंग कार्ड (Visiting Card) तक छपवा रखे है. जिसके में खुद को खुलकर डॉक्टर और अस्पताल का संचालक लिखते है और तो और खुलेआम अस्पताल में बैठकर मरीजों को देखने का काम करते है.
सूत्रों की माने तो नवजात की मौत के मामले में सरकारी कर्मचारियों ने पूरे मामले को निपटाने और अपना नाम जांच से बाहर कराने के लिए हर जतन शुरु कर दिए है. ऐसे में जिले के आलाधिकारियों को इस और ध्यान देने की खासी जरुरत है.
लेख – टीम वाच इंडिया नाउ