Fatehpur : फतेहपुर में खुले में शौच मुक्त अभियान को जिम्मेदार पलीता लगा रहे हैं. बेर्रांव में व्यक्तिगत शौचालयों में बड़ी धांधली किए जाने की शिकायत पर डीएम ने जांच कराई तो सारी पर्तें खुल गईं. शौचालय निर्माण के नाम पर मिलने वाली रकम को दबाकर जिम्मेदार मजे लूटने में लगे हुए है. ऐसे में डीएम अपूर्वा दुबे (DM Apoorva Dubey) ने पूर्व प्रधान व तत्कालीन सचिवों से गबन की गई रकम की वसूली, वहीं तत्कालीन सचिवों पर विभागीय कार्रवाई किए जाने के आदेश दिए हैं.

जानकारी के अनुसार, हसवां ब्लाक की ग्राम पंचायत बेर्रांव निवासी प्रीती सिंह पुत्री स्व. शिवकरन सिंह ने पूर्व प्रधान पर सचिवों से साठगांठ कर शौचालय निर्माण में बड़े पैमाने पर गबन किए जाने के आरोप लगाए थे. डीएम ने जिला युवा कल्याण अधिकारी की अध्यक्षता में छह सदस्यीय टीम गठित कर जांच कराई तो साढ़े ग्यारह लाख रुपये की धांधली पकड़ में आई. डीएम ने पूर्व प्रधान धर्मेंद्र सिंह से 05 लाख 76 हजार रुपये एवं तत्कालीन ग्राविअ (ग्राम विकास अधिकारी) आशीष कुमार पांडेय व ग्राविअ विपिन कुमार से 2.88-2.88 लाख यानी 5.76 लाख रुपये की वसूली किए जाने के आदेश दिए हैं.

ऐसे किया रकम का घपला

पूर्व प्रधान ग्राम निधि-6 खाते से दो सौ शौचालयों के लिए 24 लाख रुपये निकाले थे. जांच में 139 शौचालय ही बने हुए पाए गए, जबकि तत्कालीन ग्राम सचिवों ने अपनी तैनाती के दौरान 35 शौचालय के 4.20 लाख रुपये आहरित कर फर्जी एमआईएस (MIS) करा दिया, जांच में शौचालय बने नहीं पाए गए.

3.84 लाख लाभार्थियों ने भी दबाए

योजनाओं का लाभ लेने के साथ ही लाभार्थियों ने भी इसका गलत दिशा में लाभ लिया है. पूर्व प्रधान व ग्राम सचिवों ने 219 लाभार्थियों को चेक द्वारा शौचालय की रकम दी थी. शौचालय धांधली में मस्त रहे जिम्मेदारों ने यह सुध ही नहीं ली कि, कितने लोगों ने शौचालय नहीं बनवाए. जांच टीम को पता चला कि, 32 लाभार्थियों ने शौचालय की रकम खर्च कर डाली पर शौचालय का निर्माण नहीं कराया.

पीडी (PD) एवं प्रभारी डीडीओ एमपी चौबे (DDO MP Choubey) का कहना है कि, मामले में अभी आदेश प्राप्त नहीं हुआ है. अगर शौचालय में गबन का मामला हैं तो आदेश प्राप्त होते ही संबंधित ग्राम विकास अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी.

लेख – टीम वाच इंडिया नाउ

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