Fatehpur : फतेहपुर शहर के सामुदायिक शौचालयों को हर तरह की व्यवस्थाओं से पूरा करने के बाद भी इनकी हालात ग्रामीण क्षेत्रों जैसे ही हैं. इन शौचालयों में गन्दगी के आलम तो यह है की गंदगी के साथ ही शराब के पौवा की खाली शीशी शौचालयों में होने वाली हरकतों का बखान खुद ही कर रही हैं. सरकारी शौचालयों में इसका इस्तेमाल करने वालों से बाकायदा पैसे लिए जाते है, इसके बाद भी बदइंतजामी समझ से परे है. टूटे फ्लश टैंक, टूटी सीटें व टोटियां, बह कर बर्बाद होता पानी खराब व्यवस्था की पोल खोलते दिख रहे हैं.
वही, कलेक्ट्रेट व विकास भवन समेत अन्य सामुदायिक एवं पिंक शौचालयों में पड़ी तालाबंदी हैरान करने वाली है. जिसका परिणाम यह है कि, लोग सड़क किनारे, पेड़, गलियों, दीवारों, चहारदीवारी, मकान के कोनों को गंदा करते दिखाई दे जाते हैं. ऐसे जिम्मेदारों की बेपरवाही का ही नतीजा है कि, स्वच्छ भारत मिशन अभियान को पलीता लग रहा है.
पौवा की खाली शीशियों के साथ लगता है गंदगी की भरमार
शादीपुर चौराहा के पास बने शौचालय में प्रवेश करते ही फर्श पर कुछ जलाए जाने के बाद बची राख और पास ही देसी शराब के पौवा की खाली शीशी का मिलना चौंकाने वाला रहा. दरवाजे खोलकर देखने पर सीटों पर फैली गंदगी वहाँ सफाई की पोल खोल रही थी. टूटी टोटियां, बहता पानी संचालकों की बेपरवाही बताने को काफी रहा.
सामुदायिक शौचालय में रही तालाबंदी
नासेपीर तिराहे के पास बने शौचालय में ताला लटकता हुआ पाया गया. मोहल्लावासियों व राहगीरों से पूछने पर पता चला कि, अक्सर ही शौचालय में तालाबंदी रहती है. अगर शौचालय खुलता भी है तो लोग गंदगी की वजह से शौचालय में जाने से कतराते हैं. इसी वजह से राहगीर व अन्य लोग मौका पाकर इधर-उधर गंदगी फैलाकर चलते बनते हैं.
सीटें टूटी मिली लेकिन सफाई रही
विद्यार्थी चौराहे के पास बने सार्वजनिक शौचालय के अंदर एक बुजुर्ग महिला मिली. महिला ने बताया कि, शौचालय इस्तेमाल करने के बदले में दस रुपये चार्ज देना होता है. कानपुर के किसी ठेकेदार ने ठेका ले रखा है. प्रतिमाह नगर पालिका को आठ सौ रुपये देने होते हैं, उस पर बिजली का बिल व सफाई का खर्च आता है.
अफसरों की नाक के नीचे तालाबंदी
कलेक्ट्रेट, विकास भवन के सार्वजनिक एवं पिंक शौचालय में तालाबंदी चौंकाने वाली रही. कलेक्ट्रेट परिसर से लगे पिंक शौचालय में अक्सर ताला लटकता दीखता है जिसके चलते लोगों को बाहर दीवारों की ओट में लघुशंका करते देखा जा सकता है. वहीं, विकास भवन परिसर में बने सामुदायिक शौचालय मे भी ताले लटकते मिले हैं.
ईओ मीरा सिंह (EO Meera Singh) का कहना है कि, सामुदायिक शौचालयों के संचालन में किसी भी तरह की लापरवाही माफ करने लायक नहीं है. अगर पिंक शौचालय का संचालन व उपयोग पुरुषों द्वारा किया जा रहा है तो यह बेहद चिंताजनक है, वह मामले की रेंडम (Random) जांच कराते हुए कार्रवाई करेंगी.
लेख – टीम वाच इंडिया नाउ